पैग़ाम ए इमाम हुसैन अ स अपने अज़ादारो के नाम ।।।।।
पैग़ाम ए इमाम हुसैन अ स अपने अज़ादारो के नाम ।।।।।मेरा पैग़ाम ज़माने को सुनाने वालो ।।मेरे ज़ख्मो को कलेजे से लगाने वालो ।।मेरे मातम से ज़माने को जगाने वालोकर्बला क्या है ज़माने को बताने वालो ।।दिल ए मुज़्तर...
View Articleहमें ज़िन्दगी कैसे गुज़ारनी है यह नमाज़ के दो जुम्लों से तय होती है।
हमें ज़िन्दगी कैसे गुज़ारनी है यह नमाज़ के दो जुम्लों से तय होती है।पहला ग़ैरिल मग़ज़ूबि अलैहिम वलज़्ज़ालीन (न उनका जिनपर ग़ज़ब (प्रकोप) हुआ और न बहके हुओं का) जिसका मतलब की हमें उन गुमराह लोगों में...
View Articleइमामे जमाअत क़वानीन के दायरे मे इमाम है|
नमाज़ की अस्ल यह है कि उसको जमाअत के साथ पढ़ा जाये। और जब इंसान नमाज़े जमाअत मे होता है तो वह एक इंसान की हैसियत से इंसानो के बीच और इंसानों के साथ होता है। नमाज़ का एक इम्तियाज़ यह भी है कि नमाज़े...
View Articleख्याल रहे औलाद को आक़ किया नहीं जाता वो हो जाता है |
कल आज और कल |बचपन में जब भाई बहन एक दुसरे के साथ ना इंसाफ़ी करते थे तो माँ बाप ना इंसाफ़ी करने वाले बच्चे को डांट के जिसका हक़ मारा वो दिला देते थे | बड़े होने पे जो लायक बच्चा होता है वो कभी अपने भाई बहनो...
View Articleईरान में अमीर और ग़रीब के बीच फासले
ईरान में अमीर और ग़रीब के बीच फासले को लेकर पहले काफी कुछ पढ़ा था। ईरान पहुंचकर भी मेरी दिलचस्पी क़रीब साढ़े आठ करोड़ आबादी वाले इस मुल्क के स्लम्स में थी। पूरे सफर में जिन आधा दर्जन शहर या क़स्बों से...
View Articleइमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ .स ) ने कहा चार लोगों के साथ कभी नहीं रहना |
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ .स ) ने कहा चार लोगों के साथ कभी नहीं रहना | एक बार इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ .स ) ने अपने बेटे इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ .स ) से कहा बेटा ज़िंदगी में क़िस्म के लोगों के साथ कभी मत रहना...
View Articleसच्चे दोस्त की पहचान मौला अली ने बताया |
किसी ने मुसलमानो के खलीफा हज़रत अली (अ.स ) से पूछा की कोई शख्स उसका सच्चा दोस्त है या नहीं यह कैसे पता किया जाय तो हज़रत अली ने फ़रमाया उसके साथ किसी दावत में जाओ और देखो वो दस्तरख्वान पे कैसा बर्ताव करता...
View Articleऐ अल्लाह! तू उसको दोस्त रखना जो अली को दोस्त रखे | ग़दीर
ईद ऐ ग़दीर खुशियों का दिन है और मुसलमानों के आपसी भाईचारे और एकता का प्रतिक है | लेकिन यह दुआ हमेशा करते रहे की अल्लाह हम सबको इब्लीस के शर से महफूज़ रखे |ग़दीर के दिन दुनिया के सभी मुसलमान एक थे और एक...
View Articleग़दीर पर रसूले इस्लाम (स.अ.) का ऐलान |
ग़दीर पर रसूले इस्लाम (स.अ.) का ऐलान | हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को भी ग़दीर का उतना ही ख़्याल था जितना की अल्लाह को, और उस साल बहुत सारी क़ौमें और क़बीलें हज के सफ़र पर...
View Articleपैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.) की सौ हदीसें |
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद (स.) 1. आदमी जैसे जैसे बूढ़ा होता जाता है उसकी हिरस व तमन्नाएं जवान होती जाती हैं।2. अगर मेरी उम्मत के आलिम व हाकिम फ़ासिद होंगे तो उम्मत फ़ासिद हो जायेगी और...
View Articleमाह ऐ मुहर्रम में अज़ादारी बिना नीयत की पाकीज़गी के नहीं हो सकती|
इस्लाम की निगाह में वह अमल सही है जो अल्लाह उसके रसूल स.अ. और इमामों के हुक्म के मुताबिक़ हों क्योंकि यही सेराते मुस्तक़ीम है, और जितना इंसान इस रास्ते से दूर होता जाएगा उतना ही गुमराही से क़रीब होता...
View Articleअमल में ख़ुलूस ज़रूरी है |
इंसान अपनी ज़िंदगी में अल्लाह से क़रीब होने के लिए बहुत से अमल अंजाम देता है लेकिन कभी कभी महसूस करता है कि इतने सारे आमाल के बावजूद वह ख़ुद को अल्लाह से क़रीब नहीं पा रहा है, आख़िर क्या वजह है कि इतने...
View Articleअमीरूल मोमेनीन अली (अ0) का खत मालिक ऐ अश्तर के नाम |
(जिसे मालिक बिन अश्तर नग़मी के नाम तहरीर फ़रमाया है, उस वक़्त जब उन्हें मोहम्मद बिन अबीबक्र के हालात के ख़राब हो जाने के बाद मिस्र और उसके एतराफ़ का गवर्नर मुक़र्रर फ़रमाया और यह अहदनामा हज़रत के तमाम सरकारी...
View Articleज़ियारत ऐ आशूरा ,ज़ियारत ऐ वरिसा और दुआ ऐ अलक़मा
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View Articleरतनसेन तीन हिजरी का हिन्दुस्तानी
लेखक:मौलाना पैग़म्बर अब्बास नौगाँवीतारीखदानो ने हिन्दुस्तान मे इस्लाम की आमद हज्जाज बिन युसुफ के नौजवान कमांडर मौहम्मद बिन क़ासिम से मंसूब की है और ये ऐसी ज़हनीयत का नतीजा है कि जो इस्लाम को तलवार के...
View Articleशहादत इमाम हुसैन मानव इतिहास की बहुत बड़ी त्रासदी
शहादत इमाम हुसैन मानव इतिहास की बहुत बड़ी त्रासदीप्रोफेसर अख्तरुल वासे22 नवंबर, 2012(उर्दू से अनुवाद- समीउर रहमान, न्यु एज इस्लाम)मोहर्रम का महीना इस्लामी महीनों में कई मायनों में बहुत अहम है। इतिहास...
View Articleबेशर्म बेहया
बे शर्म और बे हया लोगो की कभी उनकी नज़र में बेइज्ज़ती नही होती ! क्यों की उन्हें इज़्ज़त के मायने ही पता नहीं होते | उन्हें तो बस इतना पता होता है हर हाल में जीतना है उसके लिए आख़िरत जाय या हुक्म ऐ खुदा...
View Articleमालिक यह तेरा घर है और सिर्फ़ तू ही बचाने वाला है --अब्दुल मुत्तलिब
मुवर्रेख़ीन का कहना है कि अबरहातुल अशरम का ईसाई बादशाह था। उसमें मज़हबी ताअस्सुब बेहद था। ख़ाना ए काबा की अज़मत व हुरमत देख कर आतिशे हसद से भड़क उठा और इसके वेक़ार को घटाने के लिये मक़ामे सनआमें एक...
View Articleआख़िरत में आपका दीं क्या इस्लाम रहेगा ?
आख़िरत में हमारा दींन क्या दीन ऐ इस्लाम होगा क्यों की जन्नत तो इन्ही लिए है ?दुनिया में हम अपने अक़ीदे को बयान करके खुद को मुसलमान और अली की विलायत को मानने वाले बताते हैं और जन्नत के दावेदार बन जाते...
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