उस उम्मत के आखिर में एक ऐसी क़ौम आयेगी
इमाम सादिक (अ. स.) अपने एक सहाबी से फरमाते हैं कि"जब तुम देखो कि ज़ुल्म व सितम आम हो रहा है, कुरआन को एक तरफ़ रख दिया गया है, हवा व हवस के आधार पर क़ुरआन की तफ्सीर की जा रही है, अहले बातिल (झूठे) हक़...
View Articleनमाज़ की हकीकत |
नमाज़ और लिबासरिवायात मे मिलता है कि आइम्मा-ए-मासूमीन अलैहिमुस्सलाम नमाज़ का लिबास अलग रखते थे। और अल्लाह की खिदमत मे शरफ़याब होने के लिए खास तौर पर ईद व जुमे की नमाज़ के वक़्त खास लिबास पहनते थे।...
View Articleपाप या ग़लती का अज्ञानता व सूझबूझ से गहरा संबंध|
ईश्वरीय दूतों का इस लिए पापों से दूर रहना आवश्यक है क्योंकि यदि वे लोगों को पापों से दूर रहने की सिफारिश करेगें किंतु स्वंय पाप करेंगे तो उनकी बातों का प्रभाव नहीं रहेगा जिससे उनके आगमन का उद्देश्य ही...
View Articleइस्लामी मानवाधिकार का घोषणापत्र
मानवाधिकार उन अधिकारों में से है जो मानवीय प्रवृत्ति का अनिवार्य अंश है। मानवाधिकार का स्थान, सरकारों की सत्ता से ऊपर होता है और विश्व की सभी सरकारों को उसका सम्मान करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ के...
View Articleइस्लाम में मानवता, सौहार्द, भाई-चारे की शिक्षा – डॉ कल्बे सादिक
कुछ दिनों पहले मेरा जाना बाराबंकी हुआ तो वहाँ जनाब रिजवान मुस्तफा के अनुरोध पे एक मजलिस एहुसैन (अ.स) को सुनने का मौक़ा मिला. अरविन्द विद्रोही जी भी वहाँ मजूद थे जिनको मैंने वहाँ बड़े ध्यान सेडॉ कल्बे...
View Articleपुरुष, महिलाओं के अभिभावक हैं -सूरए निसा ४:34-57
सूरए निसा; आयत 34 पुरुष, महिलाओं के अभिभावक हैंइस दृष्टि से कि ईश्वर ने कुछ को कुछ अन्य पर वरीयता दी है और इस दृष्टि से कि पुरुष अपने माल में से महिलाओं का ख़र्च देते हैं। तो भली महिलाएं वही हैं जो पति...
View Articleकमाल यह की पापियों की जगह धर्म बदनाम हो रहा है ।
धार्मिक इंसान अपने गुनाहो की तौबा के लिये अल्लाह का सहारा नही लेता बल्कि अपने गुनाहो को दुनियावालों से छुपाने के लिये धर्म का सहारा लेता है |जबकि होना यह चाहिए कि यदि अल्लाह ,भगवान ,ईश्वर पे यक़ीन है तो...
View Articleइंतेक़ाल के बाद भी मां की दुआ काम करती है |
अगर कोई शक्स अपने मां बाप के इन्तेक़ाल के बाद उनसे अपनी मुहब्बत का इजहार करना चाहता है , उन्हे ख़ुशी देना चाहता है तो उनके इन्तेक़ाल के बाद अपने भाई बहनो से ऐसे मुहब्बत करो जैसे आपके मां बाप किया करते...
View Articleकर्बला का पैग़ाम और कर्बला से मिली सीख
कर्बला का पैग़ाम और कर्बला से मिली सीख1. अमर बिल मारूफ और नही अनिल-मुनकर का महत्त्वकर्बला का वाक़या हमें सिखाता है की सीधे रास्ते से न हटना और न ही अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ना! आखेरत पर यक़ीन...
View Articleइमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम आंदोलन के शुरू में मदीने से मक्के क्यों गए?
इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम आंदोलन के शुरू में मदीने से मक्के क्यों गए?मदीने से इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम के निकलने का कारण यह था कि यज़ीद ने मदीने के शासक वलीद इब्ने अतबा के नाम ख़त में हुक्म दिया था कि...
View Articleआज ३ शबान हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के नवासे इमाम हुसैन (अ.स) का जन्म दिवस है
आज ३ शबान हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के नवासे इमाम हुसैन (अ.स) का जन्म दिवस है | ये वो शक्सियत है जिसे दुनिया मे नेकी फैलाने और बुराई मिटाने के लिये याद किया जाता है| लेकिन दुनिया से बुराई मिटाते हुये करबला...
View Articleदिल दुखी है तो पढिये सूरए बक़रह की ये आयत |
क़ुरान मे बहुत से आयत है जिनका इस्तेमाल परेशानी मे भी इन्सान किया जैसे आयताल कुर्सी पढने से इन्सान मह्फुज रहता है इत्यादी | मुझे किसी ने बताया कि अगर आप दुखी है तो क़ुरान से सूरए बक़रह की २५ वी आयत पढे|...
View Articleदोस्त की तळाश है तो पढे सूरए बक़रह की २५७ आयत |
अल्लाह विश्वास रखने वालों का स्वामी है और उन्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले जाता है और इन्कार करने वालों के स्वामी झूठे ख़ुदा होते हैं जो उन्हें प्रकाश से निकाल कर अंधकार में ढकेल देते हैं। वे नरक...
View Articleतकलीद किसकी करें -ज़रूरी मसायल |
हुज्जतुल इस्लाम मौलाना अहमद अली आबेदी साहब के मुंबई खोजा जामा मस्जिद के तारीखी ख़ुत्बे के बाद उम्मत ए तशय्यो में एक ज़िम्मेदाराना बदलाव देखने में आ रहा है. लोग कई बातो पर इल्मी बहस करते दिखाई दिए और...
View Articleसेहत और बिमारियों के बारे में मासूमीन (अ) के क़ीमती अक़वाल|
सेहते चश्म (आँख की देख रेख और इलाज )१) अगर आँख में तकलीफ़ हो तो जब तक ठीक न हो जाये बायीं करवट सो। (रसूले ख़ुदा स0)२) तीन चीज़ें आँख की रोशनी में इज़ाफ़ा करती हैं। सब्ज़े (हरियाली ) पर, बहते पानी पर और नेक...
View Articleहुसैन आज भी अकेले हैं!!!
इन्सान आज भी जब इतिहास में झांक कर देखता है तो उसे दूर तक रेगिस्तान में दौड़ते हुए घोड़ें की टापों से उठती हुई धूल के बीच खिंची हुई तलवारों, टूटी हुए ढालों और टुकड़े टुकड़े लाशों के बीच में टूटी हुई...
View Articleहज़रत अली अ. क्यूँ शहीद हुये?
अमीरूल मोमिनीन अलैहिस्सलाम की समाजी और सियासी ज़िंदगी में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ “न्याय व इंसाफ़” है। जिस तरह आपकी निजी ज़िंदगी का सबसे स्पष्ट पहलू तक़वा है उसी तरह आपकी समाजी व सियासी ज़िंदगी का सबसे...
View Articleग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के दिलो दिमाग़ को नुक़सान पहुंचाती है
ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना है, ग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के दिलो दिमाग़ को नुक़सान पहुंचाती है और समाजिक संबंधों के लिए भी ज़हर होती है। पीठ पीछे बुराई करने की इस्लामी शिक्षाओं में बहुत...
View Articleहसद का इलाज क्या है?
हसद का मतलब होता है किसी दूसरे इंसान में पाई जाने वाली अच्छाई और उसे हासिल नेमतों के ख़त्म हो जाने की इच्छा रखना। हासिद इंसान यह नहीं चाहता कि किसी दूसरे इंसान को भी नेमत या ख़ुशहाली मिले। यह भावना...
View Articleएक मुस्लमान के लिए ज़रूरी है कि अपने घर परिवार और रिश्तेदारों से मुलाक़ात...
इस्लाम ने जिन समाजी और सोशली अधिकारों की ताकीद की है और मुसलमानों को उनकी पाबंदी का हुक्म दिया है उनमें से एक यह है कि वह अपने घर परिवार और रिश्तेदारों के साथ हमेशा अच्छे सम्पर्क बनाये रखें इसी को...
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