
इस्लाम में पड़ोसी के साथ अच्छे व्यवहार पर बड़ा बल दिया गया हैं। परन्तु इसका उददेश्य यह नही हैं कि पड़ोसी की सहायता करने से पड़ोसी भी समय पर काम आए, अपितु इसे एक मानवीय कर्तव्य ठहराया गया हैं | पडोसी के साथ अच्छे व्यवहार का विशेष रूप से आदेश हैं। न केवल निकटतम पड़ोसी के साथ, बल्कि दूर वाले पड़ोसी के साथ भी अच्छे व्यवहार के लिए जोर दिया गया है कुरान में कहा गया है की ‘‘ और अच्छा व्यवहार करते रहो- माता-पिता के साथ, सगे-सम्बन्धियो के साथ, , दीन-दुखियों के साथ, निकटतम और दूर के पड़ोसियों के साथ -कुरआन, 4:36
हजरत मुहम्मद (स.अ.व) ने कहा है वह जिसका पड़ोसी उसकी शरारतों से सुरक्षित न हो सच्चा मुसलमान नहीं है | इस्लाम में यहाँ तक कहा गया है की यदि तुम्हारा पडोसी तुम्हे परेशान करे तो सहनशीलता दिखाओ |
एक बार आपके हज़रात मुहम्मद (स.अ.व) के एक साथी ने आपसे शिकायत की कि ऐ अल्लाह ‘‘ रसूल! मेरा पड़ोसी मुझे सताता हैं। फरमाया-’’ जाओं, धैर्य, से काम लो।’’ इसके बाद वह फिर आया और शिकायत की। आपने फरमाया-’’ जाकर तुम अपने घर का सामान निकालकर सड़क पर डाल दो।’’ साथी ने ऐसा ही किया। आने-जाने वाले उनसे पूछते तो वह उनसे सारी बाते बयान कर देते। इस पर लोगो ने उनसे पड़ोसी को आड़े हाथों लिया और उसे बड़ी लज्जा की अनुभूति हुर्इ। अस्तु, वह अपने पड़ोसी को मानकर दोबारा घर में वापस लाया और वादा किया कि अब वह उसे न सताएगा।
बहुत से लोग लोगों को यह लगता होगा की शायद इस्लाम में केवल मुसलमान पडोसी के साथ ऐसे सुंदर रिश्ता रखने की नसीहत होगी लेकिन ऐसा नहीं है | शायद गैर मुसलमान इस बात से अनजान हो की कुरान के सूरा और आयातों को पढने का दुनियावी फायदा भी बहुत है और इस से मुसीबतों को दूर आसानी के साथ किया जा सकता है| कुरान की आयतल कुर्सी (2:255- 7) रोज़ रात में पढके सोने की होदायत ज्ञानियो ने दी है और इस फायदा यह है की आप भी मेसीबतों से ,चोरी से महफूज़ रहते हैं और आपका पडोसी भी महफूज़ रहता है चाहे वो किसी भी धर्म का हो |
पडोसी का हक आप पे इतना है की यदि किसी मुसलमान का पडोसी भूखा सो जाए और उस मुसलमान का पेट भरा हो तो उसकी नमाज़ कुबूल नहीं होगी| कहने का मतलब है पडोसी का ख्याल रखो| आपके पास यदि कोई खाने पीने की चीज़ तोहफे में आयी है तो उसमे से भी पडोसी का हिस्सा देना पड़ता है | एक बार कुछ फल हजरत रसूले करीम (सल्ल0) के पास उपहार स्वरूप आए। आपने सर्वप्रथम उनमें से एक भाग अपने यहूदी पड़ोसी को भेजा और बाकी भाग अपने घर के लोगो को दिया।
इसलिए कहा गया है की यदि आपको अच्छा पडोसी मिल गया तो आप खुश किस्मत है | दोस्ती या पडोसी जैसे रिश्तों का व्यवसायीकरण समाज के हित में नहीं है |
हजरत मुहम्मद (स.अ.व) ने कहा है वह जिसका पड़ोसी उसकी शरारतों से सुरक्षित न हो सच्चा मुसलमान नहीं है | इस्लाम में यहाँ तक कहा गया है की यदि तुम्हारा पडोसी तुम्हे परेशान करे तो सहनशीलता दिखाओ |
एक बार आपके हज़रात मुहम्मद (स.अ.व) के एक साथी ने आपसे शिकायत की कि ऐ अल्लाह ‘‘ रसूल! मेरा पड़ोसी मुझे सताता हैं। फरमाया-’’ जाओं, धैर्य, से काम लो।’’ इसके बाद वह फिर आया और शिकायत की। आपने फरमाया-’’ जाकर तुम अपने घर का सामान निकालकर सड़क पर डाल दो।’’ साथी ने ऐसा ही किया। आने-जाने वाले उनसे पूछते तो वह उनसे सारी बाते बयान कर देते। इस पर लोगो ने उनसे पड़ोसी को आड़े हाथों लिया और उसे बड़ी लज्जा की अनुभूति हुर्इ। अस्तु, वह अपने पड़ोसी को मानकर दोबारा घर में वापस लाया और वादा किया कि अब वह उसे न सताएगा।
बहुत से लोग लोगों को यह लगता होगा की शायद इस्लाम में केवल मुसलमान पडोसी के साथ ऐसे सुंदर रिश्ता रखने की नसीहत होगी लेकिन ऐसा नहीं है | शायद गैर मुसलमान इस बात से अनजान हो की कुरान के सूरा और आयातों को पढने का दुनियावी फायदा भी बहुत है और इस से मुसीबतों को दूर आसानी के साथ किया जा सकता है| कुरान की आयतल कुर्सी (2:255- 7) रोज़ रात में पढके सोने की होदायत ज्ञानियो ने दी है और इस फायदा यह है की आप भी मेसीबतों से ,चोरी से महफूज़ रहते हैं और आपका पडोसी भी महफूज़ रहता है चाहे वो किसी भी धर्म का हो |
पडोसी का हक आप पे इतना है की यदि किसी मुसलमान का पडोसी भूखा सो जाए और उस मुसलमान का पेट भरा हो तो उसकी नमाज़ कुबूल नहीं होगी| कहने का मतलब है पडोसी का ख्याल रखो| आपके पास यदि कोई खाने पीने की चीज़ तोहफे में आयी है तो उसमे से भी पडोसी का हिस्सा देना पड़ता है | एक बार कुछ फल हजरत रसूले करीम (सल्ल0) के पास उपहार स्वरूप आए। आपने सर्वप्रथम उनमें से एक भाग अपने यहूदी पड़ोसी को भेजा और बाकी भाग अपने घर के लोगो को दिया।
इसलिए कहा गया है की यदि आपको अच्छा पडोसी मिल गया तो आप खुश किस्मत है | दोस्ती या पडोसी जैसे रिश्तों का व्यवसायीकरण समाज के हित में नहीं है |