
आज हम इस दौर से गुज़र रहे हैं की सबसे ज़्यादा ताक़तवर (अल्लाह और इमाम ऐ वक़्त ) जिसे हम कहते हैं सबसे पहले उसी का माल खाते हैं अब वो चाहे ख़ुम्स हो या वक़्फ़ का माल |
भाई मैं तो यही कहूंगा आज अगर आपके पास ज़्यादा जायदाद है तो अपनी ज़िन्दगी में ही उसे गरीबों और ज़रुरत मंदों में तक़सीम कर दें जिस से लूटने से बच जाय और किसी के काम आ सके | आज वक़्फ़ का मतलब भाई भाई में दुश्मनी और ताक़तवर द्वारा वक़्फ़ की जायदाद का हज़म किया जाना |
अफ़सोस तो होता है यह कहते हुए लेकिन हालात आज के यही कहते हैं |
