Quantcast
Channel: हक और बातिल
Viewing all articles
Browse latest Browse all 658

इस आयतल कुर्सी का सवाब उसे बक्श दें जिसने आपको इसे पढना सिखाया |

$
0
0

दादी माँ ने ही उसे क़ुरआन पढ़ना सिखाया था और सूर-ए-हम्द, इन्ना आतैना और क़ुल हुवल्लाह याद कराने के बाद आयतलकुर्सी भी याद कराई थी। यह सोच कर उसने डेक्स पर रखा हुआ क़ुरआन खोल लिया और आयतलकुर्सी निकाल कर पढ़ने लगा।

"अल्लाहू ला-इला-ह इल्ला हु-व"

अल्लाह के अलावा कोई ऐसा नहीं है कि जिसकी इबादत की जाए और जिसे ख़ुदा माना जाए। इसका तो पहसला ही जुमला बहुत ख़ास है। अगर इस जुमले को फैला दिया जाए तो पूरा इस्लाम बन जाए और अगर पूरे इस्लाम को समेट कर एक जुमले में बयान करना चाहें तो यही जुमला पेश किया जा सकता है क्यों कि इस्लाम के हर अक़ीदे और अमल की बुनियाद यही तौहीद यानी एक ख़ुदा को मानना और उस पर ईमान लाना है।
तौहीद का मतलब सिर्फ़ यह नहीं है कि ख़ुदा दो नहीं है, एक है बल्कि इसका मतलब यह है कि हमारा ख़ालिक़ और मालिक और इस दुनिया को चलाने वाला जिस के हाथ में सब कुछ है वह सिर्फ़ ख़ुदा है। ख़ुदा की तरफ़ से हर आने वाले नबी और मासूम इमामों ने यही पैग़ाम पहुंचाया है।

"अल-हय-युल क़ैय-यूम"

वह ज़िन्दा है लेकिन दूसरों की तरह से नहीं यानी दूसरी ज़िन्दा मख़लूक़ की ज़िन्दगी अपनी नहीं है बल्कि उन को यह ज़िन्दगी ख़ुदा ने दी है और वह अपनी ज़िन्दगी बाक़ी रखने के लिए भी ख़ुदा की मोहताज हैं। लेकिन ख़ुदा ऐसा नहीं है क्यों कि वह किसी का मोहताज नहीं है और सब को उसकी ज़रूरत है और वही सब को बाक़ी रखे हुए है।

"ला ताख़ुज़ु-हू सि-न-तुँ वला नौम"

न तो उसे ऊँघ आती है और न ही नींद। हर ज़िन्दा मख़लूक़ को ऊँघ और नींद आती है जिसकी वजह से वह हर वक़्त काम नहीं कर सकते हैं लेकिन जो पूरी दुनिया का चलाने वाला हो उसे तो ऐसा ही होना चाहिए कि उसे ऊँघ और नींद न आए वरना यह दुनिया ख़त्म हो जाएगी।
और इसका मतलब यह है कि वह दोपहर का शोर-शराबा हो या रात का सन्नाटा, ख़ुदा को किसी भी वक़्त पुकारा जा सकता है और उस से हर वक़्त बात की जा सकती है।

"लहू मा फिस्समा-वाति वमा फ़िल अर्ज़"

ज़मीन और आसमान में जो कुछ है वह ख़ुदा का है। यह भी बहुत अहम जुमला है क्यों कि अगर हम दिल से मान लें कि ज़मीन व आसमान में जो कुछ है वह ख़ुदा का ही है तो, हम ने दुनिया की हर चीज़ के बारे में अपनी ज़िम्मेदारी का एहसास हो जाएगा क्यों कि यह चीज़ें हमारी या हमारे जैसे दूसरों की नहीं बल्कि अस्ल में ख़ुदा की हैं। हम हर काम और हर चीज़ के बारे में ख़ुदा पर भरोसा करना सीख जाएंगे। हमें इस बात का भी एहसास हो जाएगा कि हम भी ख़ुदा के लिए ही हैं और उसी के बन्दे हैं।

"मन ज़ल-लज़ी यश-फ़उ इन्दहू इल्ला बि-इज़-निही"

उसकी इजाज़त के बिना कोई शिफ़ाअत नहीं कर सकता। इसका मतलब यह है कि शिफ़ाअत पार्टी बाज़ी नहीं है। शिफ़ाअत का मतलब है मीडियम बनना। अम्बिया और इमाम इंसानों तक ख़ुदा का पैग़ाम पहुंचाने का ज़रिया हैं और इस तरह वह इस दुनिया में इंसानों की शिफ़ाअत करते हैं। इल पैग़ाम पर अमल करने में जो लोग ग़लतियां कर देते हैं अम्बिया और इमाम ख़ुदा के सामने उनकी शिफ़ाअत करेंगे।
शिफ़ाअत, शिफ़ाअत करने वाले और शिफ़ाअत होने वाले को एक दूसरे से नज़दीक करती है और इस तरह यह शिफ़ाअत होने वाले की तरबियत का एक ज़रिया है।

"यअ-लमु मा बैना ऐ-दी-हिम वमा ख़ल-फ-हुम"

आम तौर पर शिफ़ाअत करने वाले जिसकी शिफ़ाअत करते हैं उसके बारे में कोई नई बात पेश कर देते हैं लेकिन ख़ुदा के सामने ऐसा कुछ नहीं हो सकता क्यों कि वह शिफ़ाअत करने वालों के बारे में भी जानता है और जिन की शिफ़ाअत की जा रही है उन को भी अच्छी तरह जानता है।

"वला युहीतू-न बि-शै-इम मिन इल्मिहि इल्ला बिमा शा-अ"

ख़ुदा जिन बातों को जानता है वह उन बातों को नहीं जानते हैं मगर कुछ चीज़ें ऐसी हैं जो ख़ुदा उन्हें बता देता है। शिफ़ाअत करने वालों का इल्म भी लिमिटेड है और उन के पास जो कुछ भी इल्म है वह ख़ुदा का ही दिया हुआ है।
"वसि-अ कुर-सि-य्यु हुस-समा-वाति वल अर्ज़"

ज़मीन व आसमान पर ख़ुदा का कंट्रोल है। इस दुनिया की कोई भी चीज़ उसके इल्म, उसकी ताक़त और कंट्रोल से बाहर नहीं है।
"वला यऊ-दुहु हिफ़्ज़ु-हुमा"

वह इस ज़मीन और आसमान की हिफ़ाज़त करने से थकता भी नहीं है। बहुत से बड़े-बड़े काम करने वाले थक जाते हैं लेकिन ज़मीन व आसमान को बनाने और उन्हें बाक़ी रखने वाला ख़ुदा कभी नहीं थकता।
"व-हुवल अलिय्युल अज़ीम"

हाँ! ऐसा ख़ुदा बहुत बुलंद और अज़ीम है।
अब अहमद सोच रहा था कि आयतल कुर्सी तो बहुत अहम आयत है जिस में बहुत कुछ बयान किया गया है। इसी वजह से रिवायतों में इस की इतनी फ़ज़ीलत और अहमियत बयान की गई है और इसे हर रोज़ पढ़ने के लिए कहा गया है।
यह सोचते हुए फिर अहमद को अपनी दादी माँ की याद आ गई जिन्हों ने उसे आयतल कुर्सी याद कराई थी और उस ने दिल ही दिल में उन का शुक्रिया अदा किया। फिर नम आँखों के साथ इसका सवाब उन्हें बख़्श दिया कि शायद इस तरह उनकी मुहब्बतों और मेहनतों का कुछ हक़ अदा हो सके।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 658

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>